मध्यप्रदेष देश का हृदय प्रदेश माना जाता है। इसकी स्थापना 1956 में हुई और श्री रविषंकर शर्मा प्रथम मुख्यमंत्री बने। तब से आज तक कई सरकारें आई और गई। भारतीय जनता पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद से हमारे प्रदेष 13 वर्ष उनके द्वारा संचालित सरकार के पास रहा। यह वह राज्य है जहां भाजपा पिछले 10 साल से सरकार में हैं। और जिन राज्यो में भाजपा प्रबल है, वहां दंगे, रूढीवाद, धर्म के नाम पर कट्टरता, प्रतिबंध अधिक रहते है। हमारा प्रदेष भी इस मामले में बहुत अलग नही है।
पिछले 10 वर्षो से भाजपा सत्ता में रही है । विगत एक दशक में प्रदेष की आर्थिक रूप से बहुत प्रगति नही हुई है। जब हम दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र से मध्यप्रदेष की तुलना करते है तो पाते है कि आज भी हम पिछडे है। आज हम ‘‘ बिमारू’’ राज्यो में नही आते परंतु आज भी उस दहलीज में खडे है जहां से किसी भी दिन हमारी गिनती ‘‘बिमारू’’ राज्य में होने लगेगी। हमारे यहां निवेष की मीट कई हुये है पर निवेष नही हुआ। एसोचम के हाल ही के एक रिपोर्ट में यह बात स्पश्ट रूप से आई है कि 44 प्रतिषत निवेष करार के बाद भी षुरू नही हुआ। निवेष प्रारंभ करने के विशय में 20 राज्यो में हमारा स्थान 13 वां है। कोई नये उद्योग नही आये है। खदानो पर गैरकानूनी रूप से खनन चल रहा है जिस कारण राज्य को अरबों का राजस्व घाटा हो रहा है। कृशि क्षेत्र में भी स्थिति अच्छी नही है। एक तरफ हमारे मुख्यमंत्री जी केन्द्र से कृशि उपज के लिये तमगा लेते है ओर दूसरी ओर 1300 किसान प्रतिवर्श आत्महत्या करते है।
यदि हम मानव विकास सूचकांक की भी बात करे तो प्रदेष बिहार, राजस्थान के मुकाबले बहुत पीछे है। षिक्षा, स्वास्थ, पेयजल सुविधा, षैचालय, बैंक, बीमा- इन सभी मानको पर पीछे है। कुपोशण की दर प्रदेष में सर्वाधिक है। स्कूलो में षैाचालय नही है इसलिये 5 वीं के बाद लड़किया स्कूल नही जाती, पर ऐसे भी स्कूल है जो षैचालयों में चल रहे है। हमारे मुख्यमंत्री जी को स्वयं सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा नही है। वे पिछले सात सालो में जब भी अस्वस्थ्य हुये है नीजी अस्पताल में उनकी चिकित्सा हुई है।
राजनीति षास्त्र कहता है की कूटनीति का उपयोग होना चाहिये और भ्रम की स्थिति बनाये रखना चाहिये। लोकतंत्र में यह ओर भी जरूरी हो जाता है कि हर पांच साल में जनता का दरबार लगता है और वह अपने आकलन से अपनी सरकार चुनती है। परंतु भारत के लोकत्रांत्रिक इतिहास में यह पहली बार हो रहा है जब मुख्यमंत्री सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार कर चुके है कि उनके मंत्री भ्रश्ट है, जनता का षोशण हो रहा है इसलिये जनता सब कुछ भूल केवल उनके चेहरे को देखकर वोट दे। पहली बार कोई पार्टी दूसरी पार्टी के अस्तित्व को समाप्त करने की बात कर रही है।
लोकतंत्र का सबसे अहम पहलू यह है कि उसमें कई राजनैतिक दल होते है कई विचारधारायें होती है परंतु भिन्नता में एकता होती है। राजनीति का व्यवसाइकरण हो गया है और सभी दले कमोवेष इसके लिये जिम्मेदार है। आज जब देष का बहुमत युवाओं का है जिनके मन में राजनीति को लेकर घृणा का भाव है ऐसे में हम भाजपा से अपेक्षा करते है कि वह एक जिम्मेदार दल की भूमिका निभायें। आम जनता यह भी जानती है कि भाजपा धर्म के आधार पर राजनीति करती है परंतु इतना धुवीकरण हमारे देष और राजनीति के लिये अच्छा नही है।
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