हर्ष के स्वर में छिपा जो व्यंग्य हैं
कौन सुन समझे उसे? सब लोग तो
अर्द्ध मृत से हो रहे आनंद से,
जय सुरा की सनसनी से चेतना निस्पंद हैं
दिनकर जी के ये
पंक्तियाँ करीब 60 साल पहले की लिखी हैं पर आज भी हमारे समाज, राजनीति और
राजनेताओं का सटीक वर्णन करती हैं. 4 दिन पहले फेसबुक पर नीचे स्क्रॉल करते हुए एक
विडियो चल पड़ा और ऐसा लगा की कुछ गड़बड़ देखा. लौटकर उसी विडियो पर आई तो देखा की
पुलिस वाले बर्बरता से एक महिला के पीट रहे थे और उसे निर्वस्त्र कर रहे थे और फिर
उसके पति को भी निर्वस्त्र किया. उस महिला के गोद में उसका बच्चा था. ये देख के
दिल देहक उठा और आँखें नम हो गयी. चूँकि उस वक़्त अपने महाविद्द्यालय में थी और घंटी
बज गयी तो उठकर कक्षा लेने चली गयी परन्तु एकाधिकार पढाते पढाते भी वही विडियो
दिमाग में घूम रहा था. जब सभी कक्षाए समाप्त हुई और आकर बैठी और सोचने लगी तो मन गुस्से से भर गया. दुबारा उस विडियो को
देखा और खबर पड़ी की ये घटना उत्तर प्रदेश की हैं जहाँ एक एस एच ओ ने ये काम किया
हैं. विडियो में कई पुलिस वाले खड़े हैं और आम जनता भी. सबसे पहले विचार आया की जो
व्यक्ति खड़े होकर अपने मोबाइल से विडियो बना सकता हैं क्या वो इन लोगों की मदद
नहीं कर सकता था? क्या नपुंसक लोग ही उस भीड़ का हिस्सा थे? वह एसएचओ तो मनुष्य
कहलाने योग्य नहीं हैं परन्तु जो मूक दर्शक थे उनकी चेतना को क्या हो गया था ? खून
सही में पानी हो गया हैं.
अगले दिन सुबह उठी
तो लगा समाचार पत्र में ये पड़ने मिलेगा परन्तु कही कोई खबर ही नहीं थी. कुछ
मित्रों से बात की तो बोले ये पहली घटना तो नहीं हैं और न ही आखरी. शायद उस
क्षेत्र के समाचार पत्र के एडिशन में छपा हो. मैं चुप रह गयी. फिर व्हाट्स एप्प पर
पत्रकारों के एक समूह में किसी ने इस विडियो और चित्रों को भेजा तो एडमिन ने लिखा
की अश्लीन चित्रों का उपयोग न किया जाए और अपनी बात शब्दों से बयां किया जाए. इसपर
जब थोड़ी चर्चा हुई तो एक महाशय को ग्रुप से बहार निकाल दिया गया और मुझे कहाँ गया
की वे अभी पूजा में व्यस्त हैं, किसी और दिन फुर्सत में चर्चा करेंगे. क्या यह
विषय फुर्सत में चर्चा करने का रह गया?
घटना के बाद तीसरी
सुबह जब महाविद्द्यालय के लिए निकली तो रेडियो पर विज्ञापन चल रहे थे. आगरा से
लखनऊ तक एक्सप्रेस हाईवे बनाने की बात हो रही थी और उत्तर प्रदेश के युवा मुख्य
मंत्री जी के तारीफों के पुल बंधे जा रहे थे. स्वाभाविक था की मेरे आंदोलित मन को
ये विज्ञापन बिलकुल अच्छा नहीं लगा और ऐसा प्रतीत हुआ की मुख्य मंत्री जी रेडियो
पर सबको जीब चिड़ा रहे थे की देखो मैं तो वैसा ही हूँ जैसा राजनेता को होना चाहिए.
मेरे सफ़ेद कपड़ों पर कोई दाग नहीं हैं, मेरा ह्रदय अब बचा नहीं केवल एक यंत्र हैं
जो शारीर में खून फेकता रहता हैं, मेरा मन अर्द्ध मृत हैं और मेरी चेतना निस्पंद
हैं. और मैं इसलिए राज कर रहा हूँ क्यूंकि जनता में चेतना हैं ही नहीं, वह तो केवल
अपने रोटी, कपडे और मकान में व्यस्त हैं. जब चाहूँगा उसे गो मास के नाम से, मस्जिद
मंदिर के नाम से, जाती के नाम से पाट दूंगा और आपस में ही वो लड़ भीड़ के मर
जायेंगे. और जिस दिन मुझे उनपर थोड़ी दया आएगी तो मैं लड़किओं को साइकिल दे दूंगा,
एक्सप्रेस वे बनाने की घोषणा कर दूंगा, साफ़ सफाई करवा दूंगा और सैफई में अपने
मुंबई के दोस्तों को न्योता देकर जलसा करवा दूंगा. 5 साल बाद जब मुझे इस मूर्ख
जनता की थोड़ी सी ज़रूरत होगी तो जैसे कुत्तों के सामने कुछ बोटियाँ डालता हूँ, वैसे
ही इनके सामने भी सब्जबाग के ख्वाबो को बोटी दाल दूंगा. और नहीं माने तो मेरे
दुसरे हिंदुत्व के रक्षक दल के साथ मिलकर दंगे करवा दूंगा. और ये केवल मैं इस
राज्य में नहीं बल्कि सबी राज्यों में करवा सकता हूँ क्यूंकि हम राजनेताओ में बड़ी
एकता हैं, हम भले ही बहार एक दुसरे को गाली दे पर शाम को तो रोटी एक साथ ही तोड़ते
हैं.
विगत 3 दिन से मन
में हलचल हैं, ऐसा लग रहा हैं की चीख चीख कर लोगों से कहू की अपने चेतना को मरने
मत दो, थोडा तो दुसरे मनुष्य के लिए सोचो. साथ ही पहली बार ऐसा लगा की लड़की पैदा
होना कितना दुर्भाग्यपूर्ण हैं क्यूंकि जब भी समाज में या परिवार में कोई झगडा
होगा तो उसकी सबसे पहली भेट लड़की होगी. हम शायद अबला ही रह गए और रह जायेंगे, ये सारी
शिक्षा, सशक्तिकरण केवल नाम के हैं क्यूंकि इज्ज़त तो केवल हमारी उतारी जायेगी. नौ
दुर्गा में हमारा समाज दुर्गा देवी, शक्ति स्वरूपा के ९ रूप तो पुजेगी परन्तु उसी
पंडाल में घूम रही बच्चिओं की इज्ज़त से भी खेलेगी.
सत्य ही तो, जा चुके सब लोग हैं
दूर इर्ष्या द्व्ष, हाहाकार से!
मर गए जो, वे नहीं सुनते इसे;
हर्ष के स्वर जीवितों का वुंग्य हैं
(13अक्तूबर 2015के सुबह सवेरे दैनिक के अंक में यह प्रकाशित हुआ हैं. इसका लिंक हैं http://epaper.subahsavere.news/c/6864528)
(13अक्तूबर 2015के सुबह सवेरे दैनिक के अंक में यह प्रकाशित हुआ हैं. इसका लिंक हैं http://epaper.subahsavere.news/c/6864528)
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