15 जुलाई
२०१५ को प्रधान मंत्री जी ने बड़े धूम धाम से कौशल विकास का कार्येक्रम प्रारंभ किया. अपने उद्बोधन में उन्होंने युवाओं के भविष्य
की चिंता
की और वो सब कहाँ जो सुनने में बहुत अच्छा लगा. इसी तारिक को निति आयोग की भी बैठक
बुलाई गयी जिसमे विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्री पधारे थे. मुद्दा था राज्यों का विकास. मुझे
नहीं मालूम की हमारे मुख्य मंत्री जी ने विकास के लिए क्या दर्शन रखा और वो
राज्य का भविष्य कैसा देखना चाहते हैं. परन्तु कुछ तथ्य जो जनता के सामने
हैं, वे कुछ और ही हाले
बयां कर रहे हैं.
मध्य
प्रदेश में ४० प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, जिसका अर्थ ये हैं की उन्हें शारीरिक और
मानसिक रूप से विक्सित होने के लिए पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा हैं. ये
सर्व विदित हैं की यदि शारीर नहीं बढेगा तो बुद्धि भी नहीं बढेगी, और यदि ये दोनों ही नहीं हैं तो कोई भी
कौशल विकास
कार्येक्रम, इन
बच्चो को सकुशल नहीं कर पायेगा. कुछ दिन पूर्व मध्य रदेश की एक मंत्री जी ने सार्वजनिक रूप
से कहाँ की मध्यान भोजन में बच्चों को अंडा देना चाहिए परन्तु मुख्य मंत्री
जी अड़े रहे की केवल शाकाहारी भोजन ही परोसा जाएगा.
आदिवासी
लोग शहरी जीवन से दूर होते हैं और उन्हें शहरो में जीवन यापन करने के
गुण नहीं आते. उन्हें रोज़गार युक्त बनाने के लिए सरकार उन्हें वजीफे देती
हैं. परन्तु इसमें भी १२०० करोड़ का घोटाला हुआ हैं.ऐसी ही कुछ बात पिछड़ा
वर्ग में भी देखने को मिला. इन बच्चो के शिक्षा का भविष्य इन छात्रवृत्ति
पर ही निर्भर करती हैं. जिनके पास आधारभूत शिक्षा ही नहीं होगी,
उन्हें सकुशल कैसे बनाएगी ये सरकार?
सरकारी इच्छा शक्ति की कमी
का एक और उद्धरण हैं, भोपाल गैस त्रासिदी के लोगों के कौशल विकास के लिए 30 करोड़ रुपये खर्च किया गए पर जो व्यक्ति
आज ३१ वर्ष का हो गया हैं, उसमे
मात्र ४ माह में ऐसा क्या परिवर्तन प्रसिक्षण द्वारा लाया जा सकता हैं? जो एन जी ओ इस क्षेत्र में कार्य कर रहे
हैं, उन्हें सरकार १४००० रुपये देती हैं
प्रत्येक हितग्राही के लिए. साथ में यह शर्त भी हैं की ९० प्रतिशत हितग्राहियों का कौशल
विकास हो और वे रोज़गार प्राप्त कर सकेगा. परन्तु यथा स्थिति कुछ और ही
हैं. और इन सब के बीच व्यापम घोटाला जहाँ लोगों की भारती के लिए केवल पैसा
ही कौशल हैं.
इन सभी बातों से ये बड़ा
मुश्किल हैं प्रदेश को राष्ट्र की तुलना में आर्थिक रूप से खड़ा करना. प्रदेश की प्रति
व्यक्ति आय ५४००० हैं और राष्ट्र की ८५०००. हम सभी चाहते हैं की हमारा युवा
आगे रोज़गार पाए और प्रदेश के आर्थिक विकास में भागीदार बने. प्रदेश बड़े तो
हम सब भी आगे बढेंगे. ये केवल भ्रष्टाचार का विषय नहीं हैं अपितु
प्रशासन का प्रश्न हैं. सरकार की इच्छा शक्ति प्रबल होनी चाहिए. केवल
कार्येक्रम चलाने से या फोटो खिचवाने से कुछ नहीं होगा.